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Saturday, March 1, 2014

आपको कला का वास्ता...Mohitness

Pic Pichhle Mahine li....posts mey thumnail k vaaste :p

अभी हाल में आयी इम्तियाज़ अली कि फ़िल्म 'हाईवे' को मिलती प्रशंषा देख रहा हूँ। आज इस पर ही कुछ लिखना चाहता हूँ, अक्सर लोगो को किसी फिल्मकार, कलाकार को पूजते, अपना आदर्श मानते देखता हूँ तो अच्छा लगता है कि कला कि कद्र करने वाले कितने लोग है। 

पर इंटरनेट के इस ज़माने में अंधभक्ति मुझे बिलकुल समझ नहीं आती। ज्यादा समय न लेते हुए बता दूँ कि हाईवे, २० साल पहले आयी एक हॉलीवुड पिक्चर "द चेज़" से लगभग पूरी तरह उठायी गयी है - दृश्य, किरदार यहाँ तक कि घटनाओं का क्रम एवम परिस्थितियाँ और ऐसा पहली बार नहीं है इनके द्वारा - "जब वी मेट (2007)', 1995 में आयी फ़िल्म "ए वाक इन द क्लाउड्स' कि चोरी थी, 'लव आज कल (2009)' - थ्री टाइम्स, 'रॉकस्टार (2011)' - द डोर्स (1991)...बाकी बची इनकी 2-3  फिल्मे मैंने  देखी नहीं पर आप इंटरनेट सर्च कर सकते है और जवाब खुद मिल जायेंगे आपको। मेरी या नेट पर किसी कि बात ठीक ना लगे तो खुद यह फिल्म्स देखें और निर्णय लें।

एक होता है अपने अनुसार प्रयोग कर कुछ नया करना (जो बहुत कम होता है पर होता है), एक होता है रीमेक के अधिकार लेकर फ़िल्म बनाना, एक होता है कि किसी आईडिया से प्रेरित हो उस तरह का कुछ पर फिर भी अपने इनपुट्स से काफी अलग फ़िल्म बनाना और एक बेशर्म कॉपी जिसमें नाम के लिए कुछ सीन अलग रहें ताकि रीमेक के अधिकार का जो कुछ प्रतिशत असल मूवी बनाने वालों को देना पड़ता वो भी बच जाए...उल्टा देखने को मिलता है कि ऐसे व्यक्तियों को सबसे ज्यादा नाम, सराहना और पुरस्कार मिलते है। इम्तियाज़ अली या उन जैसे और निर्देशको को आप किस श्रेणी में रखते है यह आप पर छोड़ता हूँ।

मेरा निवेदन है -

*) - आपको मनोरंजन चाहिये, लीजिये - ऐसे व्यापारियों को पैसा दीजिये ठीक! कोई दिक्कत नहीं, क्योकि इनकी यूनिट में कई लोग होते है जिन्हे ये काम देते है - बाकी फ़िल्म कि वजह से देश भर मे वितरकों से लेकर पॉपकॉर्न मशीन वाले तक कमर्शियल मूवीज़ कि जनता पर निर्भर है। 

*) - पर दिक्कत मुझे तब होती है जब आप इन व्यापारियों को दूरदर्शी कलाकार, समाजसेवी  कहकर इन्हे इज्जत देते है, पूजते है-अपना आदर्श मानते है। रिसर्च कीजिये (जो इतनी मुश्किल नहीं है, नेट पर कुछ क्लिक्स काफी है)।

*) - कई फ़िल्मकार, कलाकार मूलभूत मुद्दो, नए मुद्दों पर फिल्मे बनाते है जिनका इतना प्रचार नहीं होता पर आप अगर मध्यम वर्ग से है और थोड़े पैसे खर्च कर सकते है तो वो फिल्मे आप देख सकते है। ऐसी फिल्मो को भी  बढ़ावा दें, ऐसे कलाकारों पर भी अपना पैसा लगायें। ताकि इनकी संख्या और नाम भी बढे!

हाईवे मे काफी सम्भावनायें थी उसकी दिशा अगर पहले से जाँची परखी राह पर ना जाकर अपने इनपुट्स से कि तय कि जाती, इसमें एक सामाजिक पहलु है जिसकी मैं सराहना करता हूँ पर वहाँ भी इतना स्कोप होते हुए भी बस उसको छू भर लिया गया। पर मैं पूरा निश्चिन्त हूँ कि इस मूवी को अधूरा बताने वालों को या निर्देशक निंदा करने वालो को कई लोग छोटी मानसिकता वाला करार दे देंगे। 

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