अनजाने में कुछ गलत बोल निकल जाते है कभी ना कभी हम सब से, पर वो फेक नहीं होता। पर कुछ लोग जान पहचान की आड़ में आदतन अक्सर दूसरो से बातों में ऑफेन्सिव, गलत बोलते है, मज़ाक उड़ाते है, मज़े या तफ़रीह लेते रहते है, अपनी गलती नहीं मानते और अपनी बात हमेशा ऊपर रखते है। मतलब वो दोस्त या जानने वाले भी बने रहेंगे और गलत भी कहते रहेंगे। अब हास्यास्पद बात तब होती है जब आप कभी कबार ऐसे लोगो से उनके अंदाज़ में मज़ाक करें, गलत बोलें या उनके स्टाइल में डिस्कशन करें। ऐसा होने पर ये लोग बिफर जाते है, अपसेट हो जाते है की उनके साथ आप ऐसा रुखा व्यवहार कैसे कर सकते है? (नोट कीजिये सिर्फ कभी कभी की बात में उनकी यह प्रतिक्रिया, जबकि उनका ऐसा बिहेवियर आम रहता है)
उनमे से कुछ को इस ट्रीटमेंट की बिलकुल आदत तक नहीं होती वो गुस्से में पूछते है "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुयी मुझसे ऐसा बर्ताव/बात करने की?" मतलब अपनी बारी में गिनती मत करो और दूसरा करे तो उसमे दशमलव अंको पर भी दहाड़ें मार कर रोओ। मैं काफी धैर्य से इस तरह के जानने वालो, दोस्तों को समझाता हूँ, पर एक लिमिट के बाद इनसे दूर हो जाता हूँ। रील लाइफ और ऑनलाइन ऐसे कुछ लोगो से पाला पड़ा है, उम्मीद है आगे कभी नहीं पड़े। रिलेशनशिप में भी कुछ पार्टनर्स अपने साथी से कई रोज़मर्रा की छोटी-बड़ी बातों में रूखे रहेंगे पर अगर उनका साथी वैसा करे तो सहन नहीं करेंगे। अगर पोस्ट की बात से जुड़ा कोई वाक्या (या व्यक्ति) हो तो ज़रूर शेयर करें कमेंट्स में।
Originally Posted on - चलते, चलते
No comments:
Post a Comment